अब बैंकों से 4 बार से अधिक लेन-देन पर ₹150 टैक्स












भुगतान के डिजिटल तरीकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार तो सक्रिय है ही, अब बैकों ने ऐसे कदम उठाना शुरू कर दिए हैं कि लोग खुद ब खुद ऐसा करने लगेंगे। जी हां, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने ब्रांच में मिल रही सेवाओं पर शुल्क में बढ़ोतरी करना शुरू कर दिया है। निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने बुधवार से शुल्क की संशोधित दरें लागू कर दी हैं। कुछ बैंक पहले से ही शुल्क बढ़ा चुके हैं तो कुछ अलगे अप्रैल से ऐसा करने को सोच रहे हैं।






निजी बैंकों ने बढ़ाया शुल्क

एचडीएफसी बैंक की तरफ से बचत एवं वेतन खाताधारकों को भेजी सूचना में कहा गया है कि बुधवार, एक मार्च 2017 से वह शुल्क में बदलाव कर रहे हैं। अब ग्राहक हर महीने जमा या निकासी के रूप में चार ही नि:शुल्क ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। इसके बाद जैसे ही पांचवां ट्रांजेक्शन होगा, ग्राहकों से हर ट्रांजेक्शन पर 150 रुपये का शुल्क एवं देय टैक्स और सेस वसूला जाएगा।

बैंक के एक प्रवक्ता से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि उनका बैंक ग्राहकों को इतनी अधिक सुविधा दे रहा है कि ग्राहकों को कम से कम शाखा में आना पड़े। साथ ही बैंक का खर्च भी बढ़ रहा है इसलिए शुल्क में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। उनका कहना है कि उनके प्रतिस्पर्धी बैंकों ने पिछले साल ही शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है।










आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके यहां पिछले साल से ही शुल्क में संशोधन किया गया है। अभी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। मीडिया में एक्सिस बैंक द्वारा भी शुल्क बढ़ाने की बात की जा रही है लेकिन बैंक के प्रवक्ता को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।

सरकारी बैंक भी पीछे नहीं

सार्वजनिक क्षेत्र के ओरियंटल बैंक आफ कामर्स ने भी एक मार्च से शुल्क में बढ़ोतरी की दी है। बैंक के प्रवक्ता ने शुल्क बढ़ाने की पुष्टी की है। इस बैंक की एक शाखा के प्रबंधक ने बताया कि बुधवार से ही सिस्टम में नया शुल्क अपडेट हो गया है, बैंक कर्मचारी को अलग से कुछ नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कैश ट्रांजेक्शन पर तो अभी कोई नया प्रावधान नहीं है, लेकिन डिमांड ड्राफ्ट बनाने के शुल्क में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो गई है।

पहले विभिन्न राशि के ड्राफ्ट के लिए अलग शुल्क निर्धारित था लेकिन अब दस हजार रुपये तक के ड्राफ्ट के लिए शुल्क 50 रुपये और देय टैक्स एवं सेस कर दिया गया है। इससे ऊपर प्रति हजार पांच रुपये का शुल्क लिया जाएगा। इससे पहले स्टेट बैंक ने भी पिछले साल के मध्य से ही बचत खाते में 50 हजार रुपये से अधिक के ट्रांजेक्शन पर कैश हैंडलिंग चार्ज लगा दिया था।










अन्य बैंक भी बढ़ायेंगे शुल्क

बैंकिंग क्षेत्र के जानकार इस शुल्क बढ़ोतरी के पीछे यह तर्क दे रहे हैं कि सरकार ने नकदी पर लगाम लगाने और कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने को कहा है। जब बैंकों को ग्राहक से शुल्क वसूलने का मौका दिखाई दिया तो बिना देरी किये इसे लागू करने को तैयार हो गए।

एक सरकारी बैंक के अवकाश प्राप्त कार्यकारी निदेशक का कहना है कि इस समय कई बैंकों में उच्च स्तर पर ऐसी बात चल रही है। हो सकता है कि वे आगामी एक अप्रैल से इसे लागू करे। उनका कहना है कि अभी ब्याज दर इतना प्रतिस्पर्धात्मक हो गया है कि उसमें कमाई संभव नहीं है, इसलिए शुल्क के सहारे ही बैंक का खर्च निकालने का प्रयास हो रहा है।









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