मास्टर ब्लास्टर का एक और 'ब्लास्ट', चैपल की खोली पोल




भारतीय टीम के पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कोच ग्रेग चैपल को यदि भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे विवादास्पद कोच कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अब तो महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी आत्मकथाप्लेइंग इट माई वेमें इस बात की पुष्टि कर दी है।

2005 से 2007 के बीच अपने कार्यकाल के दौरान चैपल का तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली के साथ विवाद किसी से छुपा नहीं है। और अब सचिन ने आत्मकथा में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि चैपल ने वेस्टइंडीज में हुए 2007 वर्ल्ड कप से पहले उन्हें राहुल द्रविड़ से कप्तानी छीनने के लिए उकसाया था।

साथ ही उन्होंने सचिन से कहा था कि यदि हम दोनों मिल जाएं तो वर्षों तक भारतीय क्रिकेट पर राज कर सकते हैं। मास्टर ब्लास्टर ने चैपल की कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें रिंग मास्टर के जैसा बताया जिन्हें खिलाड़ियों पर अपनी राय थोपने की आदत थी।
सचिन ने छह नवंबर को रिलीज होने वाली आत्मकथाप्लेइंग इट माई वेमें लिखा, ‘2007 वर्ल्ड कप शुरू होने से कुछ समय पहले चैपल मेरे घर आए थे। उन्होंने मुझे सलाह देते हुए कहा कि मुझे राहुल द्रविड़ से कप्तानी छीन लेनी चाहिए।

चैपल ने मुझसे कहा कि हम दोनों मिलकर कई वर्षों तक भारतीय क्रिकेट पर राज कर सकते हैं। उनकी इस बात को सुनकर मेरे साथ पत्नी अंजली भी हैरान रह गई थीं। मैं इस बात को सुनकर काफी हैरान था कि कोच अपने कप्तान के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखा रहे हैं जबकि कुछ महीनों बाद ही क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट शुरू होने वाला है।

चैपल मेरे घर कुछ घंटे रुके और वहां से जाने से पहले वह मुझे समझाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं चैपल को रिंग मास्टर बताते हुए सचिन ने कहा कि उन्हें खिलाड़ियों पर अपनी राय थोपने की आदत थी। उन्हें इस बात की रत्ती भर भी परवाह नहीं थी कि कोई खिलाड़ी उसके लिए राजी भी है या नहीं।
अगर बीसीसीआई ने सचिन की बात मान ली होती तो 2007 वर्ल्ड कप में कोच ग्रेग चैपल टीम इंडिया के साथ नहीं होते। राहुल द्रविड़ से कप्तानी छीनने के चैपल के प्रस्ताव से सचिन काफी हैरान थे।

सचिन ने कहा कि उन्होंने तुरंत चैपल का प्रस्ताव ठुकरा दिया और इस घटना के कुछ दिन बाद बीसीसीआई को सलाह देते हुए कहा कि चैपल को भारत से बाहर भेजना और उन्हें वर्ल्ड कप में टीम के साथ भेजना सर्वश्रेष्ठ विकल्प होगा।

सचिन ने साथ ही बोर्ड से कहा कि सीनियर खिलाड़ी टीम को कंट्रोल में ले सकते हैं और टीम को एकजुट रख सकते हैं। सचिन ने लिखा, "ऐसा नहीं हुआ और 2007 वर्ल्ड कप का अंत बहुत बुरा हुआ।" काबिलेगौर है कि भारतीय टीम 2007 वर्ल्ड कप में पहले ही दौर में बाहर हो गई थी। News from amarujala.com

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