आगे उन्होंने कहा "मालिक की कोई पृष्ठभूमि और अनुभव नहीं है... यह एक पोंजी कंपनी है... मुझे लगता है कि यह एक नया घोटाला है"।
इस बयान से स्पष्ट होता है कि आप किसी घोटाले के शिकार होने से बच गए हैं। पोंजी स्कीम, पिरामिड स्कीम, मल्टी लेवल मार्केटिंग या नेटवर्क मार्केटिंग सिस्टम यह ऐसा धंधा या बिजनेस है, जिसके जरिए लोगों को सपने दिखाकर लूटा जाता है।
पोंजी स्कीम का सब्जबाग मानों यूं होता है कि एक आम आदमी भी कुछ ही महीनों में अरबपति बन जाएगा। यह एक तरह से सुनियोजित कॉरपोरेट ठगी का मॉडल है।
सोमैया ने बताया कि यह एक बहुत बड़ा पोंजी स्कैम बनकर सामने आएगा। कई नामी कंपनियां इतना सस्ता स्मार्टफोन देने में नाकाम है फिर तीन महीने पुरानी कंपनी महज 251 रुपए में स्मार्टफोन कैसे दे सकती है।
उन्होंने कहा कि इस फोन के बारे में ट्राई निदेशक से शिकायत की गई है। इसके अलावा सरकार के प्रतिनिधियों से उन्होंने अपील की कि वे इस तरह के किसी कार्यक्रम में सम्मिलित न हो। इस दौरान उन्होंने ऑनलाइन सर्वे कंपनी 'स्पीकएशिया' का जिक्र करते हुए कहा कि वो कंपनी भी लोगों का पैसा लेकर भाग गई थी। फ्रीडम 251 के मामले में भी ऐसा ही होगा।
गौरतलब है कि इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन (आईसीए) ने भी फ्रीडम 251 स्मार्टफोन को लेकर टेलीकॉम मंत्रालय में शिकायत दर्ज कराई है। आईसीए के मुताबिक सब्सिडी देने के बावजूद भी कोई स्मार्टफोन 3,000 रुपए से ज्यादा सस्ता नहीं सकता।
कंपनी ने बताया है कि मौजूदा वक्त में फोन की चिपसेट को ताइवान से आयात किया जाएगा, बाकी फ्रीडम 251 फोन का निर्माण भारत में किया जाएगा। रिंगिंग बेल्स, अध्यक्ष अशोक चड्ढा ने कहा, 'कंपनी का लक्ष्य है एस साल के अंत तक भारत में 75 प्रतिशत और समय के साथ मेक इन इंडिया के तहत 100 प्रतिशत हार्डवेयर भारत में बनाना है।'
चड्ढा ने यह भी पुष्टि है कि
फोन के लिए कोई सरकारी सब्सिडी नहीं ली गई है ना ही सरकार की ओर से इस परियोजना में किसी की कोई भी भागीदारी है।
चड्ढा ने समझाया "बिल ऑफ मटीरियल्स (पुर्जों की कीमत) के हिसाब से इस फोन की लागत 2000 रुपए है। मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाकर हम इसमें से 400 रुपए बचा लेंगे और ऑनलाइन बिक्री कर 400 रुपए और बचा लेंगे। साथ ही बड़ी संख्या में प्री-ऑर्डर (लाखों से ज्यादा) मिलने पर हम 400 रुपए और बचा सकते हैं।"
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