सुबह बेड छोड़ने से पहले फोन चेक करने की है आदत तो जरूर पढ़ें

सुबह बेड छोड़ने से पहले फोन चेक करना आदत बन गई है, खाना खाते वक्त भी स्क्रीन पर स्क्रॉल करने से खुद को रोक नहीं पाते और जरूरी मीटिंग में भी किसी नोटिफिकेशन को नजरअंदाज करना मुश्किल होता है। ऐसे में आपको टेक थेरेपी की बेहद जरूरत है।

अपने स्मार्टफोन पर दिन में कितनी बार ईमेल, वॉट्सऐप, फेसबुक या फिर एसएमएस अलर्ट चेक करते हैं? जरा ईमानदारी से सोचें। ब्रिटेन जैसे देशों में तो लोग एक हफ्ते में दो दिन के बराबर वक्त स्मार्टफोन चेक करने में ही खर्च कर देते हैं।

यही नहीं, एक चौथाई लोग दिन में 50 बार मोबाइल चेक करते हैं। तकनीक की दुनिया की यह एक ऐसी सच्चाई है, जिसके हम सभी गुलाम होते जा रहे हैं। प्राइस कम्पैरिसन वेबसाइट comparethemarket.com की रिसर्च में ये बातें सामने आई हैं।

अगर 24 घंटे के लिए मोबाइल फोन से किसी को दूर कर दिया जाए, तो वो मानसिक तनाव महसूस करने लगता है। जाहिर है कि तकनीक की लत हमारे मानसिक स्तर को भी प्रभावित कर रही है।

कनीकी मकड़जाल के कारण रिश्तों में भी उलझनें बढ़ रही हैं। शायद यही कारण है कि अमेरिका के बाद अब इंग्लैंड जैसे देश में भी नेशनल अनप्लगिंग-डे की परंपरा शुरू हो रही है, इस अभियान में शामिल लोग पूरा दिन खुद को तकनीक से दूर रखेंगे।

इंग्लैंड के टेक एडिक्‍शन के विशेषज्ञ डॉ. रिचर्ड ग्राहम के मुताबिक ‘ज्यादातर लोग 24 घंटों में से अधिकतर समय ऑनलाइन रहते हैं। ऐसे में हमारी कार्यक्षमता का प्रभावित होना तय है।’ डॉ. ग्राहम सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट करने के बाद लाइक का इंतजार करते रहने को भी एक बेतुकी लत मानते हैं।

फेसबुक मैसेंजर या फिर वॉट्सऐप पर लगातार मैसेजिंग की लत भी कम खतरनाक नहीं है। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो अपना डे-प्लान बनाने के लिए तकनीक पर पूरी तरह निर्भर हो गए हैं और अपनी टू-डू लिस्ट को अपडेट रखने के लिए काफी वक्त खर्च करते हैं।

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