बच्चों को मैगी खिलाकर कहीं खतरे में तो नहीं डाल रहे आप!

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने मैगी के कई पैकेटों को जब्त कर उनकी जांच राज्य की प्रयोगशाला में की थी। जिसमें अधिकारियों ने दावा किया है कि जांच में 'मोनोसोडियम ग्लूकोमैट' की काफी मात्रा पाई गई है।

इतना ही नहीं जांच में मैगी के पैकेटों में 'लेड' यानी सीसे की मात्रा भी तय मानकों से काफी अधिक पाई गयी थी।

तय मानकों के अनुसार इसकी मात्रा 2. 5 पीपीएम तक हो सकती है जबकि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इसकी मात्रा 17 पीपीएम तक पायी गयी।

जानिए, सीसे की अधिक मात्रा कैसे हमारे स्वास्‍थ्य के लिए हानि‌कारक है।

 पेंट में होता है सबसे ज्यादा सीसाशरीर में सीसा कई अंगों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए खतरनाक माना जाता है। सीसा एक विषैला रसायन है जो लोगों की सेहत और बच्चों के मानसिक विकास में बाधा पैदा कर सकता है।

भारत में बिकने वाले ज्यादातर पेंट में स्वास्‍थ्य के लिए हानिकारक सीसे की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।सीसा खासतौर पर बच्चों के लिए अधिक खतरनाक है क्योंकि शरीर में सीसे की अधिक मात्रा उनके विकास को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है।

सीसा आमतौर पर अन्य मुख्य खाद्य पदार्थों के बजाए पानी में मौजूद प्रदूषित पदार्थों में अधिक पाया जाता है।

खामोश महामारी है येसीसा का इस्तेमाल घरेलू पेंट्स के अलावा बैटरी और कपडे़ धोने के साबुन में भी होता है। डाक्टरों के मुताबिक, यह महामारी से भी खतरनाक है और वो इसे साइलेंट एपीडेमिक या खामोश महामारी भी पुकारते हैं।

डाक्टरों का कहना है कि सीसा सांस के साथ अन्दर जाने के अलावा, छूने, चाटने जैसे माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। शोध में पाया गया है कि सीसा बच्चों के सोचने-समझने की क्षमता कम करता है और गर्भवती औरतों पर भी असर डाल सकता है।

कई बार इसे कैंसर और ब्लड प्रेशर से भी जोड़ कर देखा गया है।अमरीकी संस्था टॉक्सिक सब्सटांस एंड डीजीज रजिस्ट्री के मुताबिक, खून के एक डेसी लीटर में दस माईक्रो ग्राम से अधिक सीसे की मौजूदगी घातक हो सकती है।

कुछ प्रयोगों के आधार पर भारत के 60 प्रतिशत से अधिक बच्चों के शरीर में यह इस अनुपात से कई गुना अधिक होगी।

कब्ज की समस्या भी है इसका बड़ा लक्षणलेड प्वाइजनिंग के बहुत सारे लक्षण हो सकते हैं। ये शरीर के कई अंगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है। आमतौर पर लेड प्वॉइजनिंग धीरे-धीरे प्रभावित करता है।

अगर बार-बार लेड शरीर में जाता है तो एबडोमिनल पेन होता है। पेट के निचले हिस्से में मरोड़े उठने लगते हैं। बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगता है। कब्ज की समस्या होती है। सोने में दिक्कत आती हैं।

सिरदर्द होना, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, उच्च रक्तचाप सभी इसके लक्षण है। याददाश्त कमजोर होना, किडनी से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।
 

डॉक्टर कहते हैं पड़ जाएगी लत इसकी लतन्यूट्रिशियन डॉ. दार्शिनी बाली का कहना है ‌कि मोनासोडियम ग्लूकोमैट अगर खाद्य पदार्थों मे बहुत ज्यादा पाया जाता है तो इसके स्वास्‍थ्य को बहुत नुकसान होता है।

उनके मुताबिक, प्रिसर्व करने वाले खाने के लिए मोनासोडियम ग्लूकोमैट का इस्तेमाल होता जिससे हड्डियों को नुकसान पहुंचता है।खासतौर पर बच्चा जब बड़ा हो रहा होता है तो उसे ये बहुत नुकसान पहुंचाता है।

साथ ही जंकफूड होने के कारण इससे वजन भी बढ़ता है। साथ ही इसे खाद्य पदार्थों की लत पड़ जाती है और बार-बार खाने का मन करता है।वहीं लेड के शरीर में अधिक जाने से लीवर को बहुत नुकसान पहुंचता है।

इतना ही नहीं, ब्रेन को भी ये प्रभावित करता है और नर्व्स पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे खाद्य पदार्थों में अधिक नमक होने के कारण उच्च रक्तचाप की शिकायत भी होने लगती है।साभारः बीबीसी/फोटोः गेटी इमेज
 

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