मलाला की डायरी
कल
पूरी रात मैंने ऐसा डरावना ख़्वाब देखा जिसमें फ़ौजी हेलि
कॉप्टर और
तालेबान दिखाई दिए। स्वात में फ़ौजी ऑपरेशन शुरू होने के बाद इस क़िस्म के
ख़्वाब बार-बार देख रही हूं। मां ने नाश्ता दिया और फिर तैयार होकर मैं
स्कूल के लिए रवाना हो गई। मुझे स्कूल जाते वक़्त बहुत ख़ौफ़ महसूस हो रहा
था क्योंकि तालेबान ने एलान किया है कि लड़कियां स्कूल न जाएं।
आज हमारे क्लास में 27 में से सिर्फ़ 11 लड़कियां हाज़िर थीं। तालेबान के एलान के डर से मेरी तीन सहेलियां स्कूल छोड़कर अपने परिवार वालों के साथ पेशावर, लाहौर और रावलपिंडी चली गई हैं।
एक बजकर चालीस मिनट पर स्कूल की छुट्टी हुई। घर जाते वक़्त रास्ते में मुझे एक शख्स की आवाज़ सुनाई दी जो कह रहा था, ‘मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा।’ मैं डर गई और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। मगर जब पीछे मुड़ कर देखा तो वह किसी और को फ़ोन पर धमकियां दे रहा था।
आज हमारे क्लास में 27 में से सिर्फ़ 11 लड़कियां हाज़िर थीं। तालेबान के एलान के डर से मेरी तीन सहेलियां स्कूल छोड़कर अपने परिवार वालों के साथ पेशावर, लाहौर और रावलपिंडी चली गई हैं।
एक बजकर चालीस मिनट पर स्कूल की छुट्टी हुई। घर जाते वक़्त रास्ते में मुझे एक शख्स की आवाज़ सुनाई दी जो कह रहा था, ‘मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा।’ मैं डर गई और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। मगर जब पीछे मुड़ कर देखा तो वह किसी और को फ़ोन पर धमकियां दे रहा था।
दिल धड़क उठा
रविवार, चार जनवरी 2009: कल स्कूल जाना है, मेरा दिल धड़क रहा है।
आज छुट्टी है, इसलिए मैं नौ बजकर चालीस मिनट पर जागी। लेकिन उठते ही वालिद साहब ने यह बुरी ख़बर सुनाई कि आज फिर ग्रीन चौक से तीन लाशें मिली हैं। इस घटना की वजह से दोपहर को मेरा दिल घबरा रहा था।
जब स्वात में फ़ौजी कार्रवाई शुरू नहीं हुई थी उस वक़्त हम तमाम घर वाले इतवार को पिकनिक के लिए मीर गुज़ार, फिज़ाए घट और कांजू चले जाते थे। अब हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि हम डेढ़ साल से पिकनिक पर नहीं जा सके हैं।
हम रात को खाने के बाद सैर के लिए बाहर भी जाया करते थे। अब हालात की वजह से लोग शाम को ही घर लौट आते हैं। मैंने आज घर का काम-काज किया, होमवर्क किया और थोड़ी देर के लिए छोटे भाई के साथ खेली। कल सुबह फिर स्कूल जाना है। मेरा दिल अभी से धड़क रहा है।
आज छुट्टी है, इसलिए मैं नौ बजकर चालीस मिनट पर जागी। लेकिन उठते ही वालिद साहब ने यह बुरी ख़बर सुनाई कि आज फिर ग्रीन चौक से तीन लाशें मिली हैं। इस घटना की वजह से दोपहर को मेरा दिल घबरा रहा था।
जब स्वात में फ़ौजी कार्रवाई शुरू नहीं हुई थी उस वक़्त हम तमाम घर वाले इतवार को पिकनिक के लिए मीर गुज़ार, फिज़ाए घट और कांजू चले जाते थे। अब हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि हम डेढ़ साल से पिकनिक पर नहीं जा सके हैं।
हम रात को खाने के बाद सैर के लिए बाहर भी जाया करते थे। अब हालात की वजह से लोग शाम को ही घर लौट आते हैं। मैंने आज घर का काम-काज किया, होमवर्क किया और थोड़ी देर के लिए छोटे भाई के साथ खेली। कल सुबह फिर स्कूल जाना है। मेरा दिल अभी से धड़क रहा है।
ज़रक बरक लिबास
सोमवार, पांच जनवरी 2009: ज़रक बरक लिबास पहन कर नहीं आएं।आज जब स्कूल जाने के लिए मैंने यूनिफॉर्म पहनने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो याद आया कि हेडमिस्ट्रेस ने कहा था कि आइंदा घर के कपड़े पहन कर स्कूल आ जाया करें। मैंने अपने पसंदीदा गुलाबी रंग के कपड़े पहन लिए। स्कूल में हर लड़की ने घर के कपड़े पहन रखे थे जिससे स्कूल घर जैसा लग रहा था। इसी दौरान मेरी एक सहेली डरती हुई मेरे पास आई। और बार-बार क़ुरान शरीफ़ (इस्लाम का धार्मिक ग्रंथ) का वास्ता देकर पूछने लगी कि ‘ख़ुदा के लिए सच-सच बताओ, हमारे स्कूल को तालेबान से ख़तरा तो नहीं?’
आज हमें असेम्बली में कहा गया कि हम आइंदा से ज़रक बरक (तड़क-भड़क रंगीन) लिबास पहन कर न आएं क्योंकि इस पर भी तालेबान ख़फा हो सकते हैं।
स्कूल की छुट्टी के बाद घर आई और खाना खाने के बाद ट्यूशन पढ़ा। शाम को जब टेलीविज़न ऑन किया तो पता चला कि शिकरदा से 15 रोज़ के बाद कर्फ़्यू उठा लिया गया है। मुझे बहुत ख़ुशी हुई क्योंकि हमारे अंग्रेज़ी के उस्ताद का ताल्लु़क़ इसी इला़क़े से है। अब शायद कल पंद्रह दिन के बाद वे पढ़ाने के लिए स्कूल आएं।
Source
0 टिप्पणियाँ