This is difficult to free roaming/इस साल मुश्किल है मुफ्त रोमिंग

मोबाइल कंपनियों की दादागीरी के सामने सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यूपीए सरकार भले ही ग्राहकों को इसी साल मुफ्त रोमिंग की सौगात देकर आगामी लोकसभा चुनाव में अपने सितारे बुलंद करने की तैयारी में हो, मगर ऐसा होना फिलहाल संभव नहीं लग रहा है।

मोबाइल फोन सेवा कंपनियां सरकार के इस कदम को लेकर कोर्ट जाने के लिए तैयार बैठी हैं। वहीं कई कंपनियों ने यहां तक कह दिया है कि अगर इसके लिए उन पर दबाव बनाया गया तो वे रोमिंग सेवा ही बंद कर देंगी। सरकार कंपनियों को इस सिलसिले में आर्थिक राहत पैकेज देने को लेकर भी विचार कर रही है। लेकिन सरकार पर पुरजोर दबाव बनाने के लिए कंपनियों ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को कह दिया है कि अगर उन पर दबाव बनाया जाएगा तो वह दूसरे ऑपरेटरों के ग्राहकों को रोमिंग सेवा देना बंद कर देंगी।

अभी कंपनियां इनकमिंग कॉल के लिए एक रुपये प्रति मिनट और आउटगोइंग कॉल के लिए डेढ़ रुपये प्रति मिनट का भुगतान लेती हैं। साथ ही एसएमएस के लिए भी डेढ़ रुपये तय हैं। कंपनियों ने सरकार से कहा है कि फ्री रोमिंग सेवा देकर उन्हें 13 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा। साथ ही कंपनियों ने मोबाइल फोन कॉल दरों को बढ़ाने की धमकी भी सरकार को दे रखी है। कई कंपनियों ने तो पहले ही कॉल दरें बढ़ा दी हैं और कई ने ग्राहकों को दी जाने वाली रियायती स्कीमों को बंद कर दिया है। अभी तक सिर्फ रिलायंस कम्यूनिकेशन ने ही सरकार के कदम का समर्थन किया है।

'कंपनियों को घाटे में रखकर सरकार ग्राहकों को बेहतर सेवा नहीं दे सकती। उसके लिए कंपनियों की मुश्किलों का भी ध्यान केंद्र को रखना पड़ेगा।'

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