बलात्कार ही नहीं, अब नाबालिगों और बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स को
छूने वालों को भी जेल की हवा खानी पड़ेगी। प्राइवेट पार्ट्स छूने को यौन
उत्पीड़न की श्रेणी में रखा जाएगा, जिसमें तीन से पांच तक सजा का प्रावधान
होगा।
उत्तर प्रदेश में ‘प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल
ओफेंस एक्ट-2012’ लागू कर दिया गया है। सभी जिलों के पुलिस कप्तानों के पास
शासन से सर्कुलर भेजा गया है। हिदायत दी गई है कि नाबालिगों के साथ यौन
उत्पीड़न के मामलों में आईपीसी की धाराओं के साथ-साथ ये एक्ट भी लगाया जाए,
साथ ही कार्यशाला कर अधिनस्थों को इसकी जानकारी दी जाए।
देश को
झकझोर देने वाले दिल्ली रेप कांड के बाद से यौन उत्पीड़न के मामलों में
कड़े कानून की वकालत की जा रही थी। इस एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के
नाबालिग माने जाएं। नाबालिग से रेप करने की सजा सात से आजीवन कारावास तक
होगी। अगर संरक्षण के दौरान पुलिस, लोकसेवक, अस्पताल या जेल में
संरक्षणकर्ता दुष्कर्म करता है तो उसे 10 साल या उम्रकैद की सजा होगी।
गैंग
बनाकर, हथियार या पोर्नोग्राफी दिखाकर दुष्कर्म किया जाता है तो भी 10 साल
या उम्रकैद सजा का प्रावधान होगा। नाबालिग लड़कियों से सिर्फ महिला
पुलिसकर्मी पूछताछ करेगी। पूछताछ के लिए पुलिस उसके घर जाएगी। इस तरह के
केसों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बनाए जाएंगे। वारदात की बाबत
पीड़िता से उसे शर्मिंदगी महसूस कराने वाले सवाल नहीं पूछे जाएंगे।
ट्रायल
के दौरान कोर्ट में दोनों पक्ष और उनके वकील होंगे। सुनवाई बंद कमरे में
होगी। एसएसपी प्रशांत कुमार ने बताया कि सर्कुलर का अध्ययन किया जा रहा है।
इसके बाद कार्यशाला आयोजित कर इसे राजपत्रित अधिकारी, एसएचओ, एसओ आदि को
इसकी जानकारी दी जाएगी। एसएसपी ने बताया कि ये एक्ट ऐसे मामलों में लगेगा,
जैसे इंदिरापुरम में स्कूली बस में बच्ची के साथ घटना हुई थी।
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